Diya Jethwani

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लेखनी कहानी -02-Jul-2023... एक दूजे के वास्ते... (15)

रश्मि गेस्ट हाउस पहुंचकर, रिसेप्शन से उसके कमरे का नम्बर पुछकर सीधे उसके कमरे में गई। 


उसने दरवाजा खटखटाया तो अंदर से आवाज आई.. कौन है?? 

 मैं हूँ रश्मि.....। 
 
अलका ने तुरंत दरवाजा खोला। 
रश्मि तु यहाँ...? क्या हुआ सब ठीक तो है ना....? 

रश्मि ने उसे गले लगा लिया। 

अलका तुझे तो बहुत तेज़ बुखार है, ओर तुने मुझे बताया भी नहीं। तुने कुछ खाया है, दवाई ली है.....? 

रश्मि अलका को ऐसे देख कर अपनी तकलीफ भी भूल गई, जिसके लिए वो अलका के पास आई थीं। 
रश्मि ने अलका को बैड पर बिठाया ओर उसके सर पर हाथ फेरते हुए पुछा.. अभी बता तुने कुछ खाया है? 

अलका ने ना में सर हिलाया। 

रश्मि ने तुरंत रिसेप्शन पर फोन किया, कमरे में रखें हुए लैंडलाइन से। 

हैलो, मैडम, मैं आपकी क्या सेवा कर सकती हुं। 

हैलो, क्या आपके यहां खिचड़ी मिल सकती है....? 

जी मैडम-सामने से जवाब आया। 

प्लीज जल्दी से रूम नम्बर 112 पर भेज दिजिए। 

ओके मेडम जस्ट फाईव मिनिट्स.....। 

रश्मि ने थैंक्स बोल कर फोन रख दिया। 

फोन रखते ही अलका ने रश्मि से बोला-खिचडी़.....? 
रश्मि खिचड़ी भी कोई खाने की चीज़ होती है, क्युं मुझे ओर ज्यादा बिमार कर रही है मेरी जान। प्लीज यार कुछ ओर मंगवा ले, तुझे पता है ना मुझे खिचड़ी बिल्कुल नहीं पसंद। 

अभी चुप करेगी, कितना बोलती है। ओर मुझसे तो अब बिल्कुल बात करने की जरूरत नहीं है, ये तो मैं आई तेरे पास, वरना तुने तो मुझे कुछ बताना जरुरी कहा समझा। खबरदार जो अब मुझसे बात की। मैं बस तुझे खाना खिला कर दवाई देकर यहां से चली जाउंगी। समझी। 


क्या बात है मेरी जान तुझे तो गुस्सा भी आने लगा है। अच्छा ठीक है ये ले कान पकड़ कर  सॉरी बोलती हुं।
 अलका ने अपने दोनों कान पकड़ते हुए कहा। तु खुद आंटी को लेकर परेशान थी बस इसलिए नही बताया। अब माफ भी कर दे। कब तक ऐसे कान पकड़े रखुंगी। 

रश्मि ने उसके हाथ पकड़े ओर कहा-गुस्सा नहीं हुं तुझसे यार....। 
इतने में दरवाजे पर आवाज आई-मे आइ कम इन.....? 

रश्मि ने येस कहा तो वेटर ने  आकर  टेबल पर खिचड़ी रख दी, ओर बिल रश्मि के हाथों में दिया, रश्मि ने बिल देखा ओर उसे पैसे दिए, फिर उसे कुछ रुपये ज्यादा देते हुए बोला-भईया जी क्या आप मेडिकल स्टोर से फीवर की दवाई ले आएंगे....? 

वेटर ने ओके मैम कहां ओर पैसे लेकर चला गया। 

रश्मि ने टेबल पर रखी खिचड़ी एक प्लेट में सर्व  की ओर अलका के पास आई ओर उसे अपने हाथों से खिलाने लगी। 

थोड़ी देर में वो वेटर दवाई भी देकर गया। 
रश्मि ने  अलका को खिचड़ी खिला कर दवाई दी ओर उसे लिटा दिया। 

अब जल्दी से आंखे बंद कर ओर सो जा....। मैं शाम को फिर से आती हुं। 

अलका ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा-आई एम सॉरी यार। मैं यहाँ तेरा साथ देने आई थी पर.. 

रश्मि ने बीच में टोकते हुए कहा.. अभी सो जा ओर जल्दी से ठीक हो जा। कल फिर से जाना है हास्पिटल। इतनी आसानी से छोड़ुगी क्या तुझे। 

अलका ने उसे गले लगा लिया। 

रश्मि बाय कहते हुए वहां से चली गई। 

रश्मि चलते चलते सोचने लगी, अब क्या करूँ, अलका को ऐसी कंडिशन में कुछ बता नहीं सकती। अंकल के घर गई तो फिर से उस शैतान का सामना करना पड़ेगा। मम्मी भी मानेगी नहीं वरना मैं उस घर से निकल कर यहीं गेस्ट हाउस में रह लूं....। कैसे भी करके मुझे तीन दिन तो निकालने ही हैं, डाक्टर ने कहा था तीन दिन तो ले जाना ही है। क्या मैं अंकल से बात करूँ। हां ये ही ठीक रहेगा। मैं आज ही मौका देख कर अंकल से बात करती हूँ....। फिर जो होगा देखा जाएगा। 
अगर अंकल मेरी बात पर यकीन करते हैं तो उस शैतान को सबक मिलेगा और अगर नही करते हैं तो हमें घर छोड़ने का बहाना मिल जाएगा। येही ठीक रहेगा। 
रश्मि ऐसा सोचते हुए रिक्शा में बैठ कर मोहन अंकल के घर आ गई। 



घर में घुसते ही उसे रिषभ मिला जो देवी को कही ले जा रहा था.....। 

मम्मी कहाँ जा रही है आप....? 

मैं आंटी को दिल्ली की सैर करवाने लेकर जा रहा हूं, आप चलेंगी साथ में.....? 


नहीं रहने दे बेटा.....इसको यहीं रहने दे....। हम दोनो ही चलते हैं। 

ठीक है आंटी ,रश्मि जी को फिर कभी ले जाउंगा। 

इतना कहकर रिषभ ने  अपनी कार का डोर खोला दोनों सैर पर चल दिएं.....।रश्मि आज पहली बार अपनी माँ के दुत्कार से खुश हो रहीं थीं....। 

रश्मि ने मन ही मन सोचा ये ही अच्छा मौका हैं, अंकल से बात करने के लिए। 

वो तेज कदमों से अंकल के कमरे कि ओर चल दी। 

कमरे में अंकल बल्लु से बात कर रहे थें.....। 


 ये रुपये रखो तुम्हे जरूरत पड़ेगी ओर अभी पहली ही गाड़ी से चले जाओ। वहाँ पहुंचते ही मुझे खबर देना। 
 
 शुक्रिया साहब। मैं चलता हूँ....। 
 
रश्मि- क्या हुआ अंकल जी.....? 

 अरे रश्मि बेटा तुम......आओ.....। भीतर आओ। 
बल्लु के गाँव से किसी का फोन आया है कि इसके पिता जी की तबियत खराब है, इसलिए ये अभी गाँव जा रहा है। 

 ओहह्.....। 
अपना ध्यान रखिएगा भईया।
 
जी मेमसाब। चलता हूँ.....। 
ऐसा कहकर बल्लु चला गया। 

आओ बेटा बैठो.....। 
क्या कहा डाक्टर साहब ने.....। सब ठीक तो है ना.....। 

जी अकंल सब ठीक है, पर मुझे आपसे कुछ ओर बात करनी हैं....। 

 मैं जानता हूँ, तुम्हे क्या बात करनी हैं.....। 


रश्मि चोंकते हुए- आप जानते हैं.....? 

 हां, रिषभ के बारे में बात करना चाहती हो ना......! 
 
इसका मतलब रिषभ ने आपको सब बता दिया हैं.....!! 


मैं अपने बेटे को अच्छे से जानता हूँ। खूबसूरती उसकी कमजोरी है। हर खूबसूरत चीज को वो जब तक अपना ना बना ले वो सुकून से नहीं रहता, ओर फिर तुम तो बला कि खूबसूरत हो.....। 

अकंल ये आप क्या बोल रहे हैं? 


 तेरी तारीफ ही तो कर रहा हूँ। वैसे तुने गलत किया रिषभ के साथ, अभी तो उसने कुछ किया ही नहीं ओर तुने थप्पड़ मार दिया....।ये तुने सही नहीं किया.....। 
 
ऐसा कहकर मोहन ने रश्मि के दोनों  हाथों को पीछे की ओर मोड़ कर पकड़ लिया ओर बोले... इस थप्पड़ का हिसाब मेरा बेटा तो लेगा ही पहले उसका बाप लेगा। इतना कहकर उसने रश्मि को सोफे पर पटक दिया। 

रश्मि हाथ जोड़ कर रोते हुए बोली-अंकल ये आप क्या कर रहे हैं, मै आपकी बेटी जैसी हूँ....। 


मोहन उसके एकदम करीब आकर बोला-: बेटी जैसी हैं...बेटी नहीं हैं.....सच ही कहा था रिषभ ने खूबसूरत तो तु बहुत है, आज तुझसे ये खूबसूरती मैं हमेशा के लिए छीन लूंगा। 

मोहन रश्मि के उपर बैठ गया ओर उसका दुपट्टा उतार कर फेंक दिया। मोहन पर जैसे हैवानियत सवार हो गई थीं। उसे रश्मि का रोना, चीखना, गिड़गड़ाना, कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। वो बस उसे अपनी पकड़ में रखकर उसके आत्मसम्मान के साथ खेल रहा था। वो लगातार उसे गालियाँ दिए जा रहा था...। 

बढी़ मुश्किल से रश्मि ने हिम्मत करके उसे अपने से दूर किया,एक जोर के झटके से मोहन सोफे से नीचे जा गिरा....।इसी समय का फायदा उठाकर रश्मि वहां से भागने लगी...। उसके कपड़े जगह जगह से फट गये थें।लेकिन रश्मि ने जैसे इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया ओर कमरे से बाहर भागी....। 

मोहन भी जल्दी से संभला ओर रश्मि के पीछे भागने लगा। 
रश्मि बेसुध सी होकर कमरे से होतें हुए घर के बाहर तक आई ही थी कि अचानक किसी से टकरा कर गिर गई। 

मोहन भी उसके पीछे पीछे आया....। मोहन ने जैसे ही उस शख्स को देखा वो बिना रश्मि को लिए, वापस अपने घर चला गया। 

रश्मि गिरते ही बेहोश हो गई थी, उसे कुछ मालूम नहीं था कि वो किससे टकराई....। 

उस शख्स ने रश्मि की तरफ देखा वो बेहोश थी, उसके कपड़े फटे हुये थे। उसके चेहरे पर काटने के निशान थे, उसके हाथों पर उंगलियों के निशान अभी भी साफ दिख रहे थे।। 
उस शख्स को समझते देर नही लगी कि क्या हुआ हैं रश्मि के साथ। 
उसने रश्मि को अपनी बाहों में उठा लिया ओर उसे फिर से मोहन के घर ले आया.....। 

कौन था वो शख्स? 
मोहन उसे देखते ही वापस क्यूँ चला गया....? 
वो शख्स रश्मि को फिर से मोहन के घर क्यूँ ले गया.....? 

जानते हैं अगले भाग में। 



#कहानीकार प्रतियोगिता

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2 Comments

Mohammed urooj khan

18-Oct-2023 10:55 AM

👌👌👌👌

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Punam verma

01-Aug-2023 02:29 PM

Very nice

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